
तेलंगाना में 13 साल की बच्ची की शादी 40 साल के व्यक्ति से—एक शिक्षक की सतर्कता ने बचाई मासूम की ज़िंदगी
तेलंगाना के रंगा रेड्डी ज़िले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक 13 वर्षीय कक्षा 8 की छात्रा की शादी एक 40 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई। यह अवैध विवाह मई 2025 में हुआ, लेकिन जुलाई के अंत में तब सामने आया जब बच्ची ने अपनी स्कूल टीचर को अपनी आपबीती सुनाई।
👧 घटना का खुलासा कैसे हुआ
बच्ची अपनी माँ और भाई के साथ किराए के मकान में रहती थी। आर्थिक तंगी से जूझ रही माँ ने मकान मालिक से अपनी बेटी की शादी करवाने की इच्छा जताई। इसके बाद एक मध्यस्थ ने श्रीनिवास गौड़ नामक व्यक्ति से विवाह की व्यवस्था की। शादी के दौरान उसकी पहली पत्नी और एक पुजारी भी मौजूद थे।
बच्ची ने शादी के कुछ दिन बाद स्कूल लौटकर अपनी टीचर को सब कुछ बताया। टीचर ने तुरंत तहसीलदार राजेश्वर और इंस्पेक्टर प्रसाद को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की और बच्ची को बचाया गया।
👮♀ कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारियाँ
पुलिस ने पाँच लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत गिरफ्तार किया:
- श्रीनिवास गौड़ (वर)
- उसकी पहली पत्नी
- बच्ची की माँ
- विवाह कराने वाला मध्यस्थ
- विवाह संपन्न कराने वाला पुजारी
अगर यह साबित होता है कि बच्ची के साथ जबरन यौन संबंध बनाए गए, तो आरोपी पर POCSO अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया जाएगा, जिसमें कठोर सज़ा का प्रावधान है।
💔 गरीबी और सामाजिक दबाव की भूमिका
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बच्ची की माँ आर्थिक तंगी के कारण यह कदम उठाने को मजबूर हुई। यह घटना दर्शाती है कि कैसे गरीबी और सामाजिक दबाव आज भी भारत में बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं।
🏥 बचाव और पुनर्वास
बच्ची को सखी सेंटर में स्थानांतरित किया गया है, जहाँ उसे परामर्श और सुरक्षा प्रदान की जा रही है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रवीन कुमार ने बताया कि बच्ची दो महीने तक आरोपी के साथ रह रही थी।
📊 बाल विवाह की व्यापक समस्या
तेलंगाना में इस वर्ष अब तक 44 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले वर्ष 60 मामले दर्ज किए गए थे। यह दर्शाता है कि कानून होने के बावजूद बाल विवाह की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है।
📚 शिक्षकों और समाज की भूमिका
इस मामले में स्कूल टीचर की सतर्कता ने बच्ची की ज़िंदगी बचा ली। यह घटना बताती है कि शिक्षकों और समाज के लोगों की जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण है। अगर समय पर कार्रवाई न होती, तो बच्ची को और भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते।
📢 निष्कर्ष: बदलाव की ज़रूरत
यह घटना सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतावनी है। कानूनों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी की ज़रूरत है ताकि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों। एक शिक्षक की सतर्कता ने एक मासूम को बचा लिया—लेकिन हमें ऐसा समाज बनाना होगा जहाँ किसी शिक्षक को ऐसा करने की ज़रूरत ही न पड़े।










